नारी को समर्पित चार चार पंक्तियाँ

नारी को समर्पित  चार चार पंक्तियाँ... 


स्नेह ,कोमलता , त्याग और समर्पण l 

सब कुछ अपना करे जो अर्पण l 

जीवन शुष्क है अपूर्ण है नारी बिन, 

नारी ही तो है समाज का दर्पण l 


मैं एक कतरा,  तुम गहरा समंदर हो l 

मैं देह तुम प्राण मेरे अंदर हो l 

मैं चन्द्रमा, मुझे तुमसे ही चाँदनी मिली, 

तुम सूरज, स्वप्रकाशित निरंतर हो l

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