प्रेम सदा मेरा स्वभाव, मेरी श्वास बने l इन्द्रियों से परे, अमिट अहसास बने l

मुक्तक 


प्रेम सदा मेरा स्वभाव, मेरी श्वास बने l 


इन्द्रियों से परे, अमिट अहसास बने l 


प्रेम चेतना का है स्तर,इसमें सब है सुन्दर, 


प्रेम अपरिपूर्ण सुन्दरता की तलाश बने l 


मातृभूमि को समर्पित दूसरी मुक्तक... 


खिली पुष्प सुगन्धित सुशोभित हुई l 


धरती माँ के चरण पखार अर्पित हुई l 


मनुज अपना जीवन भी मातृभूमि पर वार,


देख पुष्प माँ पर कैसे समर्पित हुई ।

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